24 May, 2017

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे 
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे 

घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है 
पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे 

क़हक़हा आँख का बर्ताव बदल देता है
हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आयें कैसे 

कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा 
एक क़तरे को समुन्दर नज़र आयें कैसे


                वसीम बरेलवी

1 comment:

Note: only a member of this blog may post a comment.

इतिहास जानने के स्रोत

  इतिहास जानने के स्रोत ( कैसे पता करें कब क्या हुआ था? )  हमें इतिहास से क्या जानकारी प्राप्त होती है?    इतिहास से हमें बीते हुए समय और उस...